Saturday, 3 December 2016

पर्यावरण एवं वन

पर्यावरण एवं वन

पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के प्रमुख कार्य देश के प्राकृतिक संसाधनों जैसे झीलें और नदियां, इसकी जैव विविधता, वन और वन्य जीवन, जानवरों के संरक्षण को सुनिश्चित करना और प्रदूषण से बचाव व उसे समाप्त करने से संबंधित नीतियों व कार्यक्रमों का कार्यान्वयन करना हैं। इन नीतियों और कार्यक्रमों को लागू करते समय मंत्रालय सतत विकास और मनुष्यों के कल्याण से जुड़े सिद्धांतों के बारे में भी ध्यान रखता है। मंत्रालय देश में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम(बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) (यूएनईपी), दक्षिण एशिया सहकारी पर्यावरण कार्यक्रम(बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) (एसएसीपीई), अंतरराष्ट्रीय समन्वित पर्वत विकास केंद्र (आईसीआईएमओडी) के लिए केंद्रीय एजेंसी के रूप में नामित है और वह संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण और विकास सम्मेलन (यूएनसीईडी) की अनुवर्ती कार्यवाही पर भी ध्यान देता है। इस मंत्रालय पर बहुपक्षीय निकायों जैसे सतत विकास आयोग(बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) (सीएसडी), विश्व पर्यावरण सुविधा(बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) (जीईएफ) और पर्यावरण से जुड़ी क्षेत्रीय इकाईयां जैसे एशिया और प्रशांत सामाजिक और आर्थिक परिषद(बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) (ईएससीएपी) और दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन(बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) (दक्षेस) से संबंधित मामलों का भी उत्तरदायित्व है।

मंत्रालय के मुख्य उद्देश्यों में वनस्पतियों, जीवजंतुओं और वन्यजीवों का संरक्षण और सर्वेक्षण, प्रदूषण नियंत्रण एवं निवारण, वनरोपण और वन क्षेत्र का विकास, पर्यावरण की सुरक्षा एवं पशुओं का कल्याण सुनिश्चित करना शामिल है। इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए अनेक कानून और विनियामक उपाय किए गए हैं। कानूनों के अलावा राष्ट्रीय संरक्षण रणनीति तथा पर्यावरण और विकास पर नीतिगत वक्तव्य 1992, राष्ट्रीय वन नीति 1988, प्रदूषण नियंत्रण वक्तव्य 1992 और राष्ट्रीय पर्यावरण नीति 2006 भी विकसित की गई है। इन उद्देश्यों की पूर्ति पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन, पर्यावरण पुनर्जनन, पर्यावरण और वानिकी अनुसंधान, शिक्षा और प्रशिक्षण, पर्यावरण की जानकारी, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और पर्यावरण के प्रति जागरूकता के सृजन को लागू करने के लिए संगठनों की सहायता के माध्यम से कर रहे हैं

सामान्य अवलोकन

पर्यावरण एवं वन मंत्रालय(बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) का प्रमुख कार्य देश के प्राकृतिक संसाधनों जैसे झीलें और नदियां, इसकी जैव-विविधता, वन और वन्य जीवन, जानवरों के संरक्षण को सुनिश्चित करना और प्रदूषण से बचाव व उसे समाप्त करने से संबंधित नीतियों व कार्यक्रमों का कार्यान्वयन करना है। इन नीतियों को लागू करते समय मंत्रालय सतत विकास और मनुष्यों के कल्याण से जुड़े सिद्धांतों का भी ध्यान रखता है। मंत्रालय देश में संयुक्त राष्ट्र संघ पर्यावरण कार्यक्रम(बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) (यूएनईपी), दक्षिण एशिया सहकारी पर्यावरण कार्यक्रम (एसएसीईपी), अंतर्राष्ट्रीय समन्वित पर्वत विकास केंद्र (आईसीआईएमओडी) के लिए केंद्रीय एजेंसी के रूप में नामित किया गया है और वह संयुक्त राष्ट्र संघ पर्यावरण और विकास सम्मेलन (यूएनसीईडी) की अनुवर्ती कार्यवाही पर भी ध्यान देता है। इस मंत्रालय पर बहुपक्षीय निकायों जैसे सतत विकास आयोग (सीएसडी), विश्व पर्यावरण सुविधा (जीईएफ) और पर्यावरण से जुड़ी क्षेत्रीय इकाइयां जैसे एशिया और प्रशांत सामाजिक और आर्थिक परिषद (ईएससीएपी) और दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन से संबंधित मामलों का भी उत्तरदायित्व है।
मंत्रालय के मुख्य कार्य निम्न हैं :
  • वनस्पतियों, जीव-जंतुओं और वन्यजीवों का संरक्षण और सर्वेक्षण
  • प्रदूषण नियंत्रण एवं निवारण
  • वनरोपण और वन क्षेत्र का विकास
  • पर्यावरण की सुरक्षा एवं
  • पशुओं का कल्याण सुनिश्चित करना।
इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए अनेक कानून और विनियामक उपाय हैं। कानूनों के अलावा राष्ट्रीय संरक्षण रणनीति और पर्यावरण और विकास पर नीतिगत वक्तव्य 1992, राष्ट्रीय पर्यावरण नीति 1988, प्रदूषण नियंत्रण वक्तव्य 1992 और राष्ट्रीय पर्यावरण नीति 2006 भी भविष्य में कार्रवाई की देखरेख करेंगे।

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