Saturday, 3 December 2016

कृषि

कृषि

कृषि भारत की कुल जनसंख्या के 58.4% से अधिक लोगों की आजीविका का मुख्य साधन है। देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में भी कृषि का योगदान लगभग पांचवें हिस्से के बराबर है। कुल निर्यात का लगभग 10 प्रतिशत हिस्सा कृषि से प्राप्त होता है और यह अनेक उद्योगों के लिए कच्चा माल भी उपलब्ध कराता है। अस्थिर और कम विकास दर और देश के अनेक हिस्सों में कृषि संकट न केवल राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा है बल्कि राष्ट्र के रूप में आर्थिक विकास के लिए कृषि महत्वपूर्ण है।

इस खंड में सरकार की योजनाओं और नीतियों से जुड़े महत्वपूर्ण लिंक दिए गए हैं। इसके अलावा अनेक ऐसी चीजें दी गई हैं जो कृषक समुदायों और कृषि पर निर्भर अन्य लोगों के लिए लाभकारी होंगी।

सामान्य अवलोकन


भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था का आधार कृषि है। भारत के सकल घरेलू उत्‍पाद में कृषि और उससे संबंधित क्षेत्रों का योगदान 2007-08 और 2008-09 के दौरान क्रमश: 17.8 और 17.1 प्रतिशत रहा। हालांकि कृषि उत्‍पादन मानसून पर भी निर्भर करता है, क्‍योंकि लगभग 55.7 प्रतिशत कृषि-क्षेत्र वर्षा पर निर्भर हैं।

वर्ष 2008-09 के चौथे पूर्व आकलन के अनुसार खाद्यान्‍न का उत्‍पादन 238.88 करोड़ टन होने का अनुमान है। ये पिछले वर्ष की तुलना में 1 करोड़ 3.1 लाख टन अधिक है। चावल का उत्‍पादन 9 करोड़ 91 लाख टन होने का अनुमान है जो पिछले वर्ष की तुलना में 24 लाख टन अधिक है। गेहूं का उत्‍पादन 8 करोड़ 5 लाख टन होने की उम्‍मीद है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 20 लाख टन अधिक है। इसी तरह मोटे अनाज का उत्‍पादन 3 करोड़ 94 लाख टन होने की उम्‍मीद है, एवं दलहन का उत्‍पादन एक करोड़ 46 लाख टन से अधिक होने का अनुमान है जो वर्ष 2007-08 की तुलना में 0.99 लाख टन अधिक है। गन्‍ने का उत्‍पादन 2712.54 लाख टन होने की उम्‍मीद है, जो वर्ष 2007-08 की तुलना में 769.34 लाख टन कम है। कपास का उत्‍पादन 231.56 लाख गांठें अनुमानित है (प्रत्‍येक गांठ का वजन 170 किलोग्राम) जो वर्ष 2007-08 की तुलना में 27.28 लाख गांठें अधिक है। 2008-09 के दौरान जूट एवं मेस्‍टा की पैदावार 104.07 लाख गांठें (प्रत्‍येक गांठ का वजन 180 किलोग्राम) होने का अनुमान है, जो वर्ष 2007-08 की तुलना में 8.04 लाख गांठ कम है।

वर्ष 2008-09 के दौरान खाद्यान्‍नों का फसल क्षेत्र एक करोड़ 123.22 लाख हेक्‍टेयर रखा गया है, जबकि पिछले वर्ष यह क्षेत्र 124.07 करोड़ हेक्‍टेयर था। चावल का फसल क्षेत्र 453.52 लाख हेक्‍टेयर रखा गया है जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 1,437 लाख हेक्‍टेयर अधिक है। गेहूं की फसल क्षेत्र वर्ष 2008-09 में 278.77 लाख हेक्‍टेयर अनुमानित है, जो वर्ष 2007-08 के गेहूं के फसल क्षेत्र से 1.62 लाख हेक्‍टेयर कम है। मोटे अनाज का फसल क्षेत्र वर्ष 2008-09 में 276.17 लाख हेक्‍टेयर अनुमानित है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 8.64 लाख हेक्‍टेयर कम है। अनाजों के न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य में 2008-09 में 2007-08 के मुकाबले बढ़ोतरी 8 प्रतिशत (गेहूं) से लेकर 52.6 प्रतिशत (रागी) तक हुई। साधारण धान के मामले बढ़ोतरी 31.8 प्रतिशत, दालों में 8.1 प्रतिशत (चना) और उड़द तथा मूंग में 48.2 प्रतिशत रही।

देश में 11वीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक चावल, गेहूं और दालों का उत्पादन क्रमशः 10, 8 और 2 लाख टन बढ़ाने के लिए केंद्र प्रायोजित योजना राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन आरंभ की गई।

मिशन में 17 राज्यों के 312 जिलों को शामिल किया गया है और वर्ष 2007-08 के रबी सत्र से लागू हो गई है। एनएफएसएम के अंतर्गत ध्यान और लक्ष्य केंद्रीत तकनीकी हस्तक्षेप की स्थापना के बाद महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है और यह 2008 –09 के तीसरे अग्रीम अनुमान के तथ्यों में परिलक्षित होता है। चावल के उत्पादन को 99.37 लाख टन के स्तर तक उठाया गया है और 2007-08 की तुलना में 2.68 लाख टन की और 2006-07 के मुकाबले 6.02 लाख टन की वृद्धि दर्ज की गई है। इसीतरह की स्थिति गेहूं के मामले में भी है जो पिछले साल की तुलना में गेहूं के उत्पादन में 2.76 लाख टन की वृद्धि दर्शाता है। नतीजतन, 2008-09 के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, गेहूं का अनुमानित उत्पादन 77.63 लाख टन के स्तर पर है, जो 2006–07 की तुलना में 1.82 लाख टन ज्यादा है। दालों के मामले में 2006-07 के दौरान 14.20 लाख टन उत्पादन दर्ज किया गया। तदनुसार, 2008-09 के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, दालों का उत्पादन 14.18 लाख टन रहने का अनुमान है, जो 2006-07 की तुलना में उत्पादन प्रवृति लगभग स्थिर है।

देश के वर्षा आधारित क्षेत्रों की समस्या की ओर ध्यान केंद्रीत करने के लिए केंद्र सरकार ने 3 नवंबर 2006 को राष्ट्रीय वर्षापोषित क्षेत्र प्राधिकरण (एनआरएए) का गठन किया। प्राधिकरण एक सलाहकार, नीति निर्धारक और निगरानी निकाय के रूप में कार्यरत है और इसकी भूमिका विभिन्न मौजूदा परियोजनाओं में दिशा निर्देशों की जांच और इस क्षेत्र में सभी बाह्य सहायता प्राप्त परियोजनाओं सहित नई योजनाओं के निर्माण में रहती है।
2008-09 के केंद्रीय बजट में सरकार ने छोटे और सीमांत किसानों के लिए ऋण माफी और अन्य किसानों के लिए ऋण राहत की घोषणा की है। 2007-08 में कृषि ऋण प्रवाह के लक्ष्य 2,25,000 करोड़ रुपए के मुकाबले 2, 43,569 करोड़ रुपए की उपलब्धि हासिल हुई।
कृषि विस्तार मजबूत हो गया है और 2007-08 के अंत तक 565 जिलों में कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसियां (एटीएमएज) स्थापित की गई हैं।
2005 में राष्ट्रीय बागवानी मिशन की शुरुआत के बाद इसके तहत 8.25 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बागवानी फसलें उगाई गई हैं जबकि 1.17 लाख हेक्टेयर को बागानों के अंतर्गत लाया गया है। इसकी शुरुआत के बाद से 1710 नई नर्सरी स्थापित की गई हैं। 2006 में लघु सिंचाई योजना आरंभ होने के बाद से इसके तहत 6 लाख हेक्टेयर भूमि को कवर किया गया है। मौजूदा वर्ष में 4 लाख हेक्टेयर के कवरेज का लक्ष्य है।

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