भूगर्भिक इतिहास
भारत की भूगर्भीय संरचना को कल्पों के आधार परविभाजित किया गया है। प्रीकैम्ब्रियन कल्प केदौरान बनी कुडप्पा और विंध्य प्रणालियां पूर्वी वदक्षिणी राज्यों में फैली हुई हैं। इस कल्प के एकछोटे काल के दौरान पश्चिमी और मध्य भारत की भीभूगर्भिक संरचना तय हुई। पेलियोजोइक कल्प केकैम्ब्रियन, ऑर्डोविसियन, सिलुरियन और डेवोनियनशकों के दौरान पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में कश्मीरऔर हिमाचल प्रदेश का निर्माण हुआ। मेसोजोइकदक्कन ट्रैप की संरचनाओं को उत्तरी दक्कन केअधिकांश हिस्से में देखा जा सकता है। ऐसा मानाजाता है कि इस क्षेत्र का निर्माण ज्वालामुखीयविस्फोटों की वजह से हुआ। कार्बोनिफेरसप्रणाली, पर्मियन प्रणाली और ट्रियाजिकप्रणाली को पश्चिमी हिमालय में देखा जा सकता है।
जुरासिक शक के दौरान हुए निर्माण को पश्चिमीहिमालय और राजस्थान में देखा जा सकता है।
टर्शियरी युग के दौरान मणिपुर, नागालैंड,अरुणाचल प्रदेश और हिमालियन पट्टिका में काफीनई संरचनाएं बनी। क्रेटेशियस प्रणाली को हममध्य भारत की विंध्य पर्वत श्रृंखला व गंगा दोआबमें देख सकते हैं। गोंडवाना प्रणाली को हम नर्मदानदी के विंध्य व सतपुरा क्षेत्रों में देख सकते हैं।
इयोसीन प्रणाली को हम पश्चिमी हिमालय औरअसम में देख सकते हैं। ओलिगोसीन संरचनाओं कोहम कच्छ और असम में देख सकते हैं। इस कल्पके दौरान प्लीस्टोसीन प्रणाली का निर्माणज्वालमुखियों के द्वारा हुआ। हिमालय पर्वतश्रृंखला का निर्माण इंडो-ऑस्ट्रेलियन औरयूरेशियाई प्लेटों के प्रसार व संकुचन से हुआ है।इन प्लेटों में लगातार प्रसार की वजह से हिमालयकी ऊँचाई प्रतिवर्ष 1 सेमी. बढ़ रही है।
भारत की भूगर्भीय संरचना को कल्पों के आधार परविभाजित किया गया है। प्रीकैम्ब्रियन कल्प केदौरान बनी कुडप्पा और विंध्य प्रणालियां पूर्वी वदक्षिणी राज्यों में फैली हुई हैं। इस कल्प के एकछोटे काल के दौरान पश्चिमी और मध्य भारत की भीभूगर्भिक संरचना तय हुई। पेलियोजोइक कल्प केकैम्ब्रियन, ऑर्डोविसियन, सिलुरियन और डेवोनियनशकों के दौरान पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में कश्मीरऔर हिमाचल प्रदेश का निर्माण हुआ। मेसोजोइकदक्कन ट्रैप की संरचनाओं को उत्तरी दक्कन केअधिकांश हिस्से में देखा जा सकता है। ऐसा मानाजाता है कि इस क्षेत्र का निर्माण ज्वालामुखीयविस्फोटों की वजह से हुआ। कार्बोनिफेरसप्रणाली, पर्मियन प्रणाली और ट्रियाजिकप्रणाली को पश्चिमी हिमालय में देखा जा सकता है।
जुरासिक शक के दौरान हुए निर्माण को पश्चिमीहिमालय और राजस्थान में देखा जा सकता है।
टर्शियरी युग के दौरान मणिपुर, नागालैंड,अरुणाचल प्रदेश और हिमालियन पट्टिका में काफीनई संरचनाएं बनी। क्रेटेशियस प्रणाली को हममध्य भारत की विंध्य पर्वत श्रृंखला व गंगा दोआबमें देख सकते हैं। गोंडवाना प्रणाली को हम नर्मदानदी के विंध्य व सतपुरा क्षेत्रों में देख सकते हैं।
इयोसीन प्रणाली को हम पश्चिमी हिमालय औरअसम में देख सकते हैं। ओलिगोसीन संरचनाओं कोहम कच्छ और असम में देख सकते हैं। इस कल्पके दौरान प्लीस्टोसीन प्रणाली का निर्माणज्वालमुखियों के द्वारा हुआ। हिमालय पर्वतश्रृंखला का निर्माण इंडो-ऑस्ट्रेलियन औरयूरेशियाई प्लेटों के प्रसार व संकुचन से हुआ है।इन प्लेटों में लगातार प्रसार की वजह से हिमालयकी ऊँचाई प्रतिवर्ष 1 सेमी. बढ़ रही है।
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